क्या करें आप को भुला नहीं सकते,
तड़प तड़प के जी रहे हैं, मगर,हाल-ए -दिल सबको बता नहीं सकते।
क्या करें ,,,,,,,,,,,,,,,,
हर हंसी में छिपे हज़ार आंसूं हैं,
हर तबस्सुम है जिगर के लाख कतरे,
हम तो सैलाब ग़मों का समेटे बैठे हैं।
रोके दिल उनका दुखा नहीं सकते,
यूँ ही हर पल मेरे साथ आप रहा करते हैं,
मुश्किलों को मेरी आसान बना दिया करते हैं,
पर कभी क्या मेरा नाम भी पुकारोगे ?
मुझसे रुठोगे क्या कभी और मुझे मनाओगे ?
मुझको इस बात की कसक बस रहती है,
इक झलक भी कभी हम आपको दिखा नहीं सकते।
क्या करें,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
Bahut khoob
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