Friday, 18 January 2013

हजारोँ ऐब हैँ मुझमे ,मुझे मालूम है , लेकिन कोई इक शख्स है ऐसा , मुझे "अनमोल" कहता है


 अगर भीगने का इतना ही शौक है , तो देख मेरी आँखोँ मेँ
बारिश तो सब के लिए बरसती है , पर ये आँखेँ सिरफ तुम्हारे लिए बरसती हैँ


 
खुद को समझे वो लाख मुकम्मल शायद , मुझको लगता है वो शख्स अधूरा मेरे बिना
खुदा से गुजारिश है , कि मेरी रुह को दुबारा जिस्म दे
बडी मुद्दत से काटी है , सजा - - जिदंगी


 तुम खुशफहमियोँ मेँ खो जाना वो तो हसँ कर सब से ही मिलते हैँ

 
सब हदेँ तोड कर आज ,
हद कर दी , तेरी याद ने



 
Mohbbat me nahi hai shart, milne ya bichudne ki. . .
 Ye en khudgarz bato se bht aage ki duniya hai. . .




 
Bs Ye Iltiza H Meri,
Bs Falak Tak chal Sath Mere. . .

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