अभी न भर पाए थे, दिल के घाव पुराने, उधर पुनः पतझड़ो का आमंत्रण आया! सुख दुःख के दो भागों में बंट जाना जीवन , मौत सिर्फ सुख दुःख का बंधन कट जाना है! अर्थ जिन्दगी का, राहों पर चलते जाना है,
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आज चले थे हम राहों का दिल बहलाने, पर कारी बदरी ने आकर पथ बिसराया... ऊपर से दिखे लहरों में खूब रवानी, बीत रही जो उन पर उनका दिल ही जाने? झुकी-झुकी क्यों रोती हो तरुवर की डारो ? झड कर फूल चला दूजी बगिया महकने! अभी न लहरें कह पाई पूरे अफसाने, उधर किनारों की आँखों में जल भर आया! पूरा कर व्यापार, देश को गया सौदागार, भोले ग्राहक, तुमने उसका भेद न जाना ! क्सिमत में था कांच, मिला हीरे के बदले, अब क्या आये काम, नयन से नीर बहाना? लौटेगा न सौदागर, दुकान सजाने, तुमने तो बेकार पंथ में समय बिताया! आज चली शबनम कलियों के आंसू धोने, रुको अभी पतझड़ो, मधुबन में न आना! मधुबन के मेहमान, निद्रा त्यागो, मधुबन जलने को है, अपने प्राण बचाना! तुम आये थे यहाँ नया संसार बसने, पतझड़ ने पत्ती-पत्ती का रूप जलाया.
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